Sunday, December 14, 2008

इकरार

उसका
यूं हल्के से मुस्कुरा कर
झुकी-झुकी नज़रों से
नकारना,
और फिर सराबोर आंखों से
आमन्त्रित-सा कर
एकटक निहारना
क्या भुला पाउंगा कभी ।

वह
अगर सीधे-से
'हां' कर देती
तो बचता ही क्या
याद रखने को
सब भूल जाता ।

वह भी
शायद
नहीं चाहती थी कि
मैं
उसे भुला दूं
इसलिए तो........................

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