Sunday, December 14, 2008

जब तुम साथ थी

बन्द मुट्ठी में मेरी कायनात थी,
जब तुम साथ थी तो क्या बात थी ।

यूं ही चलता रहा खुद में खोया हुआ,
यादों में तेरी मैं मदहोश सा ।
हर खुशी का मेरी तुम ही आधार थी,
जब तुम ......................................................॥

मैंने मांगी थी खुशिंया तेरे प्यार की,
तूने वायदों से मुझको दिलासे दिए ।
हकीकत मैं समझा, तू तो बस ख्वाब थी ॥
जब तुम ......................................................॥

कह न पाया कभी हाले दिल तुझसे मैं
बात दिल की तेरी, तेरे दिल में रही ।
मैं भी मजबूर था, तुम भी लाचार थी,
जब तुम ......................................................॥

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