Sunday, December 14, 2008

दोस्त

झक सफेद रूमाल से
हाथों को पोंछता
मुस्कुराता हुआ
गर्मजोशी से
वह
मेरी ओर आगे बढ़ा ।

हाथ मिलाने को तत्पर
खुली दायीं हथेली में,
मेरा दाया हाथ थाम
हौले-हौले सहलाता
थामे खड़ा रहा
कुछ देर ।

और फिर
दोनों हाथों से
मेरे कंधों को मीठी-सी दाब दे
वह आगे निकल गया ।

अचानक
सामने आदमकद आइने में मैने देखा
वह पलटा
ठीक मेरी पीठ के पीछे
उसके वही दोनो हाथ
खामोशी से
मेरी गरदन की ओर बढ़ने लगे ।

इससे पहले कि मैं संभलूं
मेरा दम घुटने लगा
मुझे वहीं छोड़
उसी झक सफेद रूमाल से
हाथों को पोंछता
मुस्कुराता हुआ
खुली हथेली लिए
गर्मजोशी से
वह आगे बढ़ गया ।