सच है कि मैं
खोना नहीं चाहता था तुम्हें ।
तुम भी
पाना चाहती थी मुझे ।
यह भी सच्च है
तुम मेरी थी
तुम्हें खोने का भय भी
मेरा भय था ।
पर
मैं नहीं था
तुम्हारा ।
तुम चाहती थी मुझे
अपना बनाना
पर तुम्हें मुझे खोने का भय नहीं था ।
इसलिए
समझ नहीं पायी तुम
कि
किसी अपने को खोने का भय
कहीं अधिक भयभीत करता है
अपनी मौत के भी भय से ।
2 comments:
nice one rai ji...ye bhay hona shayad jaruri hai kisi ko pane ke liye
शक्रिया शिखा जी, आपने मेरे ब्लाग पर नजर डाली.
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