Monday, December 22, 2008

भय

सच है कि मैं
खोना नहीं चाहता था तुम्‍हें ।

तुम भी
पाना चाहती थी मुझे ।

यह भी सच्‍च है
तुम मेरी थी
तुम्‍हें खोने का भय भी
मेरा भय था ।

पर
मैं नहीं था
तुम्‍हारा ।

तुम चाहती थी मुझे
अपना बनाना
पर तुम्‍हें मुझे खोने का भय नहीं था ।

इसलिए
समझ नहीं पायी तुम
कि
किसी अपने को खोने का भय
कहीं अधिक भयभीत करता है
अपनी मौत के भी भय से ।

2 comments:

Anonymous said...

nice one rai ji...ye bhay hona shayad jaruri hai kisi ko pane ke liye

Virender Rai said...

शक्रिया शिखा जी, आपने मेरे ब्‍लाग पर नजर डाली.