Monday, February 20, 2012

नियामत



इस धूप, पानी और हवा से


सबका बराबर का सरोकार है



आप-हम


यही कहते-सुनते हैं कि


खुदा की यह नियामते तो


बराबर-बराबर ही बख्‍शी है उसने


हर किसी के लिए



पर देखों इन पर भी


सेंध लग गयी है



इधर देखो


धूप बरबस कोशिश कर रही है


भव्‍य अट्टालिकाओं से जूझ


सर्विस लेन की उस झोपड़ी तक पंहुचने की


पर सत्‍ता की छांव ने


बांध दिए हैं उसके पांव



और यहां देखों


नदी पर बंध गया है बांध


बंध गया है पानी


पैदा हो रही है उर्जा


इसलिए कि इन अट्टालिकाओं


के नियॉन बल्‍बों की जगमगाहट कम न हो



हवा के हाल भी


कुछ ऐसे ही बेहाल हैं


एयरकंडीशन के जबड़ो ने


जकड़ लिया है उसे


इन अट्टालिकाओं का इन-डोर इनवायरमेंट


इको फ्रेंडली बनाने के लिए


उगल रहा है आग



धूप हवा पानी


अब खुदा नहीं इन्‍सान


ही बक्‍श सकता है

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