Monday, February 20, 2012

अजन्‍मी बेटी की पुकार

मां


क्‍यों जन्‍म से पहले


बेटी को मिटाती हो


खुदा की नियामत का


क्‍यों खून बहाती हो



मां,


तुम तो ममता की मूरत कहलाती हो


भगवान के बाद संसार में


तुम ही तो पूजी जाती हो


फिर क्‍यों नहीं तुम बाबा को समझाती हो


क्‍यों मेरे नन्‍हें अरमानों को तुम चाक किए जाती हो



क्‍यों दहेज के ठेकेदारों से


डरती हो, घबराती हो


दादी के उलाहने


क्‍यों दिल से लगाती हो



दादी भी है एक बेटी


तुम भी तो एक बेटी हो


क्‍यों जन्‍म से पहले


बेटी को मिटाती हो



क्‍यों जन्‍म से पहले


बेटी को मिटाती हो




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