मां
क्यों जन्म से पहले
बेटी को मिटाती हो
खुदा की नियामत का
क्यों खून बहाती हो
मां,
तुम तो ममता की मूरत कहलाती हो
भगवान के बाद संसार में
तुम ही तो पूजी जाती हो
फिर क्यों नहीं तुम बाबा को समझाती हो
क्यों मेरे नन्हें अरमानों को तुम चाक किए जाती हो
क्यों दहेज के ठेकेदारों से
डरती हो, घबराती हो
दादी के उलाहने
क्यों दिल से लगाती हो
दादी भी है एक बेटी
तुम भी तो एक बेटी हो
क्यों जन्म से पहले
बेटी को मिटाती हो
क्यों जन्म से पहले
बेटी को मिटाती हो
No comments:
Post a Comment