कौन देता है जान, कौन किसके लिए मरता है ।
हर शख्स यहां अपने ही लिए जीता-मरता है ।।
नहीं ऐसा मिला कोई जो कहे कि तेरा हूं मैं,
मैं हूं बस उसी का हर-एक यही दम भरता है ।।
जो न आए हैं अब तक, वो अब न आएंगे,
किसको फुर्सत है तू किसका इंतजार करता है ।।
यह दिन किया था तय नसीब ने तेरी मौत के लिए,
तूने जान दी उन पर, कौन इसका यकीन करता है ।।
जी तो बहुत करता है कि मुहब्बत में जान दे दूं मै,
पर बेमुरर्वत इस जहान में मुहब्बत कौन करता है ।।